भारत में सेमीकंडक्टर क्रांति: $1 ट्रिलियन डॉलर के ग्लोबल मार्केट पर नजर, अमेरिका-चीन का दबदबा टूटेगा
नई दिल्ली: राजधानी में आयोजित सेमिकॉन इंडिया 2025 कॉन्फ्रेंस में प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने भारत के सेमीकंडक्टर सेक्टर के लिए बड़ा रोडमैप पेश किया। पीएम ने बताया कि देश में 18 बिलियन डॉलर (1.5 लाख करोड़ रुपये से अधिक) के 10 बड़े सेमीकंडक्टर प्रोजेक्ट्स पर तेजी से काम चल रहा है। उनका कहना है कि भारत में बनी सबसे छोटी चिप दुनिया में सबसे बड़ा बदलाव लाएगी।
भारत का लक्ष्य
भारत का फोकस घरेलू स्तर पर बने चिप्स से नई तकनीकों को मजबूती देना है। लक्ष्य है कि 1 ट्रिलियन डॉलर के ग्लोबल चिप मार्केट में भारत अपनी मजबूत हिस्सेदारी बनाए। पीएम मोदी ने कहा कि आने वाला समय ऐसा होगा जब दुनिया कहेगी – "डिजाइन इन इंडिया, मेड इन इंडिया, ट्रस्टेड बाय द वर्ल्ड।"
सरकारी प्रयास
सरकार सेमीकंडक्टर सेक्टर में बैकएंड ऑपरेशंस से आगे बढ़कर पूरी वैल्यू चेन को विकसित कर रही है। इसमें चिप डिजाइन, मैन्युफैक्चरिंग, पैकेजिंग और हाइटेक डिवाइस प्रोडक्शन शामिल हैं। नेशनल सिंगल विंडो सिस्टम और प्लग-एंड-प्ले मॉडल पर तेजी से काम हो रहा है ताकि प्रोजेक्ट्स का समय कम किया जा सके।
प्रमुख प्रोजेक्ट्स और निवेश
CG पावर का सेमीकंडक्टर प्लांट 28 अगस्त को चालू हो गया।
Kaynes टेक्नोलॉजी का पायलट प्रोजेक्ट भी शुरू होने वाला है।
माइक्रोन और टाटा इलेक्ट्रॉनिक्स के टेस्ट चिप्स प्रोडक्शन में हैं और इस साल कमर्शियल प्रोडक्शन शुरू होगा।
कुल मिलाकर 10 प्रोजेक्ट्स पर काम चल रहा है जिनमें 18 बिलियन डॉलर से ज्यादा का निवेश है।
सरकारी समर्थन और योजनाएं
केंद्र सरकार प्रोजेक्ट कॉस्ट का 50% कैपिटल सपोर्ट देती है, जबकि राज्य सरकारें 20% तक का प्रोत्साहन देती हैं। डिजाइन-लिंक्ड इंसेंटिव (DLI) स्कीम को और मजबूत किया जा रहा है ताकि स्टार्टअप्स और MSMEs को अधिक समर्थन मिल सके।
भविष्य की तैयारी
भारत का लक्ष्य न केवल घरेलू मांग को पूरा करना है बल्कि दुनिया के लिए एक भरोसेमंद सेमीकंडक्टर हब बनना है। विशेषज्ञ मानते हैं कि आने वाले वर्षों में भारत ग्लोबल चिप मार्केट में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकता है और अमेरिका-चीन के दबदबे को चुनौती दे सकता है।
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